पृथ्वी मुद्रा क्या है, कैसे करते है एवं लाभ | Prithvi Mudra in Hindi 

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योगासन से अगर दिन की शुरुआत हो तो आपका पूरा दिन तरोताजा और स्फूर्तिदायक होता है | प्राचीन समय से ही हमारे पूर्वज योगासनों का महत्व समझ गए थे | योगासनों और प्रणायाम में कुछ खास मुद्राओं के बारे में भी बताया गया है | इन्हीं मुद्राओं में से एक है पृथ्वी मुद्रा | इस मुद्रा को कोई भी व्यक्ति कभी भी और कहीं भी आसानी से कर सकता है | पृथ्वी मुद्रा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है और योगासनों में इसका विशेष महत्व बताया गया है | पृथ्वी मुद्रा करने से शरीर ही नहीं अपितु मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है | आज के इस लेख में हम जानेंगें की पृथ्वी मुद्रा क्या है और इसे कैसे किया जाता है और इसके लाभ क्या है | 

पृथ्वी मुद्रा क्या है ?

हमारा शरीर पांच तत्व – अग्नि, वायु,जल, पृथ्वी और आकाश जैसे पांच तत्वों से मिलकर बना है | पृथ्वी मुद्रा हमारे शरीर के पृथ्वी तत्व को जागृत करने के लिए किया जाता है | पृथ्वी मुद्रा एक हाथ का विशेष प्रकार का guesture है जिसमें अंगूठे और अनामिका उंगुली के द्वारा हाथ की विशेष position बनाई जाती है | पृथ्वी मुद्रा के द्वारा शरीर की अंदरूनी शक्ति को बढ़ाते हुए स्वास्थ्य को सुधारा जाता है और मानसिक और शारीरिक संतुलन को बेहतर किया जाता है | 

पृथ्वी मुद्रा कैसे बनाई जाती है ?

पृथ्वी मुद्रा बनाने के लिए आपको अपने हाथ की अनामिका उंगुली जो की पृथ्वी तत्व को इंगित करती है उसे अपने अंगूठे के साथ जो की अग्नि तत्व के प्रतीक है से मिलाना होता है | इस मुद्रा में आपकी बाकि की तीनो उंगुलियां बिलकुल सीधी रहनी चाहिए |  इस मुद्रा को बनाने के लिए आपको कोई शांत जगह पर कोई चटाई या मैट बिछाकर उस पर सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठकर करना चाहिए | इस आसन को आप शुरुआत में 15 मिनिट कर सकते है और जैसे जैसे अभ्यास होता जाये आप 45 मिनिट तक इस मुद्रा में बैठकर अपना ध्यान लगा सकते है | 

पृथ्वी मुद्रा के लाभ  

यह भले ही आपको साधारण लगे लेकिन योगासनों के नियम के अनुसार हमारे शरीर में बहुत सी नाडियां होकर गुजरती है | हमारे हाथ और पाँव में इनके केंद्र होते है और जब हम किसी खास उंगुली या हाथ या पैर के पॉइंट को दबाते है तो उससे हमारे पुरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है | पृथ्वी मुद्रा के द्वारा  आपको क्या क्या लाभ हो सकते है आइये जानते है – 

  • जिन लोगों को शारीरिक कमजोरी होती है उनकी कमजोरी इस क्रिया को करने से दूर होती है | 
  • पृथ्वी तत्व के संतुलन से आपको शारीरिक और मानसिक मजबूती मिलती है | 
  • बालों और त्वचा सबंधित समस्याएं दूर होती है | 
  • वजन घटाने में मदद मिलती है | 
  • थकान, जलन और अल्सर जैसी समस्याएं दूर होती है | 

किन्हें पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए 

गर्भवती महिलाओं को पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए | पृथ्वी मुद्रा के द्वारा शरीर में मौजूद तत्वों के संतुलन प्रभावित होता है और प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाऐं किसी भी परवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होती है | इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए | इसके अलावा जिन लोगों को लम्बे समय से कफ की परेशानी है उन्हें भी पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए | 

पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास कब और कहाँ करना चाहिए 

पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास किसी शांत स्थान पर करना बेहतर रहता है जहाँ पर अनावश्यक शोर ना हो जिससे आप पृथ्वी मुद्रा के साथ अपना ध्यान लगा सके | इसके लिए सबसे सही समय सूर्योदय से पूर्व का होता है उस समय कोलाहल भी कम होता है और आप इस मुद्रा का लम्बे समय तक अभ्यास कर सकते है | लेकिन यदि आपको समय की परेशानी हो तो आप अपने ऑफिस में भी खाली समय में इस योगासन का अभ्यास कर सकते है | 

निष्कर्ष 

योगासनों में आपकी स्थितियों और मुद्राओं का बहुत महत्व है इनके द्वारा आप केवल शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक और आध्यात्मिक सुख एवं शांति प्राप्त कर सकते है | पृथ्वी मुद्रा एक बहुत ही लाभकारी मुद्रा है और इसका नियमित अभ्यास से आप खुदको ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस कर पाएंगे | पृथ्वी मुद्रा के लाभों को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस शेयर करें और यदि मन में कोई सवाल हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं |

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